रामगढ़: ऑल इंडिया एससी एसटी ओबीसी काउंसिल झारखंड प्रदेश के संगठन मंत्री रूदल कुमार ने 21 अगस्त को होने वाले भारत बंद को ऐतिहासिक बनाने के लिए जोरदार तैयारी की है। इस बंद का आयोजन एससी/एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण के खिलाफ किया जा रहा है, जिसे रूदल कुमार और उनके समर्थकों ने संविधान विरोधी कदम करार दिया है। उनका कहना है कि सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा के लिए इस आंदोलन को मजबूत करना अत्यावश्यक है।
संविधान विरोधी फैसले के खिलाफ व्यापक आंदोलन की आवश्यकता
रूदल कुमार ने अपने प्रेस बयान में कहा कि एससी/एसटी वर्ग को अभी तक उस स्थिति में नहीं पहुँचाया गया है, जहाँ उनका वर्गीकरण किया जा सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक यह समुदाय अपने वास्तविक हक और अधिकारों तक नहीं पहुंचता, तब तक इस तरह के फैसले समाज के हित में नहीं हो सकते। यह भारत बंद एससी/एसटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।
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प्रबुद्ध लोगों से संपर्क और रणनीति पर चर्चा
भारत बंद को सफल बनाने के लिए रूदल कुमार और उनके सहयोगियों ने समाज के प्रबुद्ध लोगों से संपर्क किया है। मंगलवार को उन्होंने एक बैठक आयोजित की, जिसमें भारत बंद की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई। इस बैठक में मनोज राम, अजय पासवान, उत्तम राम, जितेंद्र राम, महेंद्र राम, और विक्की सहित अन्य प्रमुख लोग शामिल हुए। सभी ने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए एकजुट होकर काम करने का संकल्प लिया।
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एससी/एसटी समुदाय के हितों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
रूदल कुमार ने बताया कि भारत बंद के माध्यम से एससी/एसटी समुदाय के हितों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आंदोलन केवल आरक्षण के उपवर्गीकरण के खिलाफ ही नहीं, बल्कि संविधान की मूल भावना की रक्षा के लिए भी है। इस बंद के माध्यम से सरकार को यह संदेश दिया जाएगा कि एससी/एसटी समुदाय किसी भी प्रकार के अन्याय को सहन नहीं करेगा।
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आंदोलन की मजबूती और भविष्य की योजनाएं
भारत बंद के साथ ही, इस आंदोलन को और भी मजबूती देने के लिए भविष्य में कई अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। रूदल कुमार ने कहा कि अगर सरकार ने इस मांग को नहीं सुना, तो आंदोलन को और भी व्यापक स्तर पर ले जाया जाएगा। उनका कहना है कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक कि एससी/एसटी समुदाय को उनके हक और अधिकारों की पूर्ण प्राप्ति नहीं हो जाती।
निष्कर्ष
एससी/एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण के खिलाफ 21 अगस्त को होने वाला भारत बंद एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। यह आंदोलन न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि संविधान की रक्षा के लिए भी एक जरूरी संघर्ष है।