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रामगढ़ में झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा का विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम

Protest and road jam of Jharkhand Agitator Sangharsh Morcha in Ramgarh
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रामगढ़ जिले के भुरकुंडा में झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा द्वारा बुधवार को झारखंड बंद के समर्थन में व्यापक विरोध-प्रदर्शन किया गया। इस दौरान मतकमा चौक को लगभग साढ़े तीन घंटे तक जाम रखा गया, जिसके कारण रामगढ़-पतरातू मुख्य मार्ग और भुरकुंडा मार्ग पर आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया। सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और सामान्य यातायात प्रभावित हुआ।

सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें और यातायात ठप

बंद के दौरान केवल इमरजेंसी और स्कूली वाहनों को छोड़कर अन्य सभी वाहनों का आवागमन रोक दिया गया। बंद समर्थक सुबह 9 बजे सड़कों पर उतरे और करीब 12:30 बजे तक सड़कों से नहीं हटे, जिससे तीन घंटे से अधिक समय तक आवागमन अवरुद्ध रहा। इस दौरान, झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा के समर्थकों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया।

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आंदोलनकारियों की सरकार से मांग

मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष दर्शन गंझू ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड के अलग राज्य के लिए संघर्ष करने वाले आंदोलनकारियों की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार ने 2019 में झारखंड आंदोलनकारियों को मान-सम्मान और अधिकार देने का वादा किया था, लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी केवल उपेक्षा ही मिली है। उन्होंने सरकार से सभी मांगों को तुरंत पूरा करने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और तेज होगा और राज्य में अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी।

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आंदोलन में शामिल प्रमुख नेता

इस विरोध प्रदर्शन में झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के कई प्रमुख नेता और समर्थक शामिल हुए, जिनमें अब्दुल कयूम, लखेंद्र राय, आजाद अंसारी, रोबिन मुखर्जी, गुलाब प्रसाद साहू, योगेंद्र यादव, गोगो बेदिया, उगन महतो, शिव शंकर भुइयां, रामधन गंझू, नरेश गंझू, फुलेशवर उरांव, सन्तू मुंडा, रमेश गंझू, संतोष उरांव, शंकर जयसवाल, बीडी सिंह, राजेश कुमार भुइंया, हरिशंकर चौधरी, बाबूलाल महतो, महेश रजवार सहित दर्जनों आंदोलनकारी शामिल रहे।

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निष्कर्ष

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के इस विरोध प्रदर्शन से राज्य में झारखंड आंदोलनकारियों की उपेक्षा को लेकर नाराजगी साफ दिखाई दी। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और आंदोलन का क्या रुख होता है। अगर मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो झारखंड में और बड़े आंदोलन और नाकेबंदी की स्थिति बन सकती है।

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