रामगढ़ के डिवाइन ओंकार मिशन हाई स्कूल के प्रांगण में शुक्रवार को करमा महोत्सव की पूर्व संध्या पर पारंपरिक झूमर नृत्य का आयोजन किया गया। इस रंगारंग कार्यक्रम में स्कूल के सभी कक्षाओं के बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। बच्चों ने पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे होकर अखरा में एक से बढ़कर एक झूमर नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे वातावरण में सांस्कृतिक रंग बिखर गए।
कार्यक्रम में स्कूल के शिक्षकों की भागीदारी
इस विशेष अवसर पर स्कूल के प्रधानाचार्य मुकुंद कुमार और उप प्रधानाचार्य कुमारी अनीता के साथ-साथ कई शिक्षकों ने भी झूमर नृत्य में हिस्सा लिया। इन शिक्षकों में निर्मला, नीतू, पुनीत कुमार, पूनम बाला शर्मा, देव कुमार, संजना, रीना, सविता, पुष्पा, गुड़िया, प्रेरणा, आरती और शोभा कांत राय प्रमुख थे। शिक्षकों और छात्रों के इस सामूहिक प्रदर्शन ने पूरे कार्यक्रम में उत्साह का संचार कर दिया और सभी उपस्थित लोगों का मन मोह लिया।
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झूमर नृत्य के मुख्य आकर्षण
झूमर नृत्य के दौरान बच्चों ने पारंपरिक लोकगीतों की धुन पर नृत्य किया। उनकी सुंदर वेशभूषा और भाव-भंगिमाओं ने इस आयोजन को और भी आकर्षक बना दिया। बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों ने भी मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। सभी ने अपने-अपने अंदाज में झूमर नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे इस आयोजन की शोभा और बढ़ गई।
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कार्यक्रम का संचालन और अन्य उपस्थितगण
इस कार्यक्रम का संचालन मिशन हाई स्कूल के खोरठा विषय के शिक्षक श चुरामन महतो ने किया। उनकी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को रोचक और व्यवस्थित बनाए रखा। इस अवसर पर स्कूल के सभी शिक्षक, बच्चों के अभिभावक और आसपास के ग्रामीण भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान दर्शकों ने बच्चों और शिक्षकों के प्रदर्शन की सराहना की और तालियों से उनका हौसला बढ़ाया।
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ग्रामीण परिवेश में संस्कृति का अद्भुत संगम
डिवाइन ओंकार मिशन हाई स्कूल के इस आयोजन ने न केवल छात्रों को अपनी संस्कृति से जोड़ा, बल्कि उनके अंदर टीम वर्क और पारस्परिक सहयोग की भावना भी विकसित की। ग्रामीण परिवेश में इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का कार्य करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष
करमा महोत्सव की पूर्व संध्या पर आयोजित झूमर नृत्य ने रामगढ़ के डिवाइन ओंकार मिशन हाई स्कूल में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया। इस तरह के कार्यक्रम न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और एकता को भी प्रोत्साहित करते हैं।