Chhath Puja 2024: छठ पूजा के पावन पर्व के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने गुरुवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। सिर पर फल-फूल और पूजा सामग्री से भरी डलिया, हाथों में अखंड ज्योति और मन में छठ मैया के गीतों के साथ श्रद्धा में लीन करीब पांच लाख लोगों ने इस आयोजन में भाग लिया। इस अवसर पर आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला।
घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
गुरुवार दोपहर से ही श्रद्धालु परिवार संग घाटों की ओर बढ़ने लगे। सिर पर डलिया उठाए व्रतधारी मार्ग में देखे जा सकते थे। शाम 5:22 बजे जल में उतरकर सभी ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और अपनी संतानों की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना की। श्रद्धालुओं ने फलों, फूलों, नैवेद्य, धूप और दीप के साथ पूजा-अर्चना की।
PM Vidyalakshmi Yojana: मेधावी छात्रों के लिए उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता का नया द्वार
पहली बार व्रत करने वाली नवविवाहिताओं का उत्साह
नवविवाहिताओं ने पहली बार छठ पर्व में शामिल होकर सूर्यदेव और छठ मैया की पूजा की। उन्होंने गाय के दूध और गंगाजल से अर्घ्य दिया और एक-दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लिया। घाटों पर बांस की सूप और टोकरियों को फलों और ठेकुआ से सजाया गया था। घाटों पर आतिशबाजी भी की गई, जो पूजा में एक नया आकर्षण जोड़ रही थी।
Chhath Festival In Ramgarh: भुरकुंडा के नलकारी नदी घाट पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
छठ मैया के गीतों से गूंज उठे घाट
पूजन के दौरान श्रद्धालुओं ने छठ मैया की महिमा वाले गीतों का गायन किया। “अरघ लेई सूरजदेव खुश होइहैं छठ मइया,” “कहवां भईल एतनी देर हो माई,” जैसे गीत घाटों पर गूंजते रहे। कई श्रद्धालु दंडवत प्रणाम करते हुए घाटों तक पहुंचे। “हर-हर गंगे,” “जय छठी माई,” और “हर-हर महादेव” के जयकारों से घाटों का माहौल भक्तिमय हो गया।
चार दिवसीय छठ महापर्व का आज तीसरा दिन, पहले अर्घ्य का महत्व और पूजा विधि
घरों में भी की गई कोसी की पूजा
घाटों पर पूजा संपन्न होने के बाद महिलाओं ने घर में भी कोसी भरकर पूजन किया। घाट से जल और मिट्टी ले जाकर घर में पूजन-अर्चन की गई। घाटों पर गाय का दूध बांटा गया और छठ मैया का झंडा लहराया। जरूरतमंद श्रद्धालुओं को पूजा सामग्री भी वितरित की गई।
इस प्रकार, छठ पूजा का यह महापर्व श्रद्धा, समर्पण और आस्था का प्रतीक बनकर लोगों के मन में विशेष स्थान बना रहा है।