India’s Hypersonic missile: भारत ने अपनी पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। ओडिशा के तट पर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से बीती रात इस मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया गया। इस मौके पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैज्ञानिक और सैन्य विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
भारत बना उन्नत सैन्य तकनीक वाला देश
इस परीक्षण के साथ भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जिनके पास हाइपरसोनिक तकनीक है। इस मिसाइल की सफलता भारतीय रक्षा प्रणाली को एक नई ऊंचाई पर ले जाती है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए DRDO और सेना को बधाई दी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर इसकी जानकारी साझा करते हुए इसे भारत की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर करार दिया।
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मिसाइल की विशेषताएं और क्षमताएं
हाइपरसोनिक मिसाइल की कुछ प्रमुख विशेषताएं और क्षमताएं निम्नलिखित हैं:
मिसाइल की अधिकतम दूरी 1500 किलोमीटर है। यह मिसाइल बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री ले जाने में सक्षम है। हाइपरसोनिक गति इसे बेहद तेज बनाती है, जिससे दुश्मन के बचाव तंत्र इसे रोकने में अक्षम हो सकते हैं। इसे हैदराबाद स्थित एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल प्रयोगशाला और DRDO की अन्य प्रयोगशालाओं में विकसित किया गया है। इसमें कई औद्योगिक भागीदारों का सहयोग भी शामिल है।
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हाइपरसोनिक मिसाइल का सामरिक महत्व
- रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: यह मिसाइल भारत को अपनी रक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनाती है।
- सुरक्षा में सुधार: हाइपरसोनिक तकनीक के माध्यम से भारत की सैन्य क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार होगा।
- डिटरेंस क्षमता: यह दुश्मनों के खिलाफ एक मजबूत निवारक तंत्र के रूप में कार्य करेगा।
- वैश्विक पहचान: यह तकनीकी सफलता भारत को रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है।
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मिसाइल परीक्षण का महत्व: सारांश
विशेषता | विवरण |
---|---|
मिसाइल का प्रकार | हाइपरसोनिक लंबी दूरी की मिसाइल |
परीक्षण स्थान | एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप, ओडिशा |
मारक दूरी | 1500 किलोमीटर |
विस्फोटक क्षमता | बड़ी मात्रा में विस्फोटक ले जाने में सक्षम |
विकासकर्ता | DRDO और औद्योगिक साझेदार |
रक्षा मंत्री का दृष्टिकोण
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि को भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम बताते हुए भविष्य में और उन्नत तकनीकों के विकास पर जोर दिया। यह मिसाइल भारतीय सेना को और अधिक सशक्त बनाएगी, साथ ही देश की रक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी।