पलामू में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के अनियमित सत्र के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। यह घेराव जीएलए कॉलेज से मार्च निकालते हुए विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के समक्ष किया गया। इस मार्च का नेतृत्व आइसा पलामू जिला सचिव गौतम दांगी, जिलाध्यक्ष गुड्डू भुइयां, और लातेहार जिला सचिव नागेंद्र राम ने संयुक्त रूप से किया। प्रशासनिक भवन के सामने यह मार्च एक सभा में परिवर्तित हो गया, जहां छात्रों ने अपनी समस्याओं को उठाया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
आइसा के नेताओं का बयान: छात्र भविष्य के प्रति चिंताएं
सभा को संबोधित करते हुए आइसा के राज्य सचिव त्रिलोकीनाथ ने कहा कि पलामू के छात्र गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एक ओर कॉलेजों की कमी है, तो दूसरी ओर अनियमित सत्रों के कारण छात्रों का भविष्य अंधकार में डूब रहा है। छात्रों को समय पर डिग्री नहीं मिल रही है, जिससे वे स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण बीएड सत्र 2022-24 का है, जिसमें अब तक केवल दो सेमेस्टर की परीक्षा हुई है। इसके कारण छात्र मानसिक तनाव में हैं और उनका भविष्य अनिश्चित हो गया है। आइसा ने विश्वविद्यालय के इस रवैये के प्रति गहरा रोष व्यक्त किया है और छात्रों के मुद्दों के साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता जताई है।
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विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप: जानबूझकर छात्रों का भविष्य किया जा रहा है अंधकारमय
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के भविष्य को जानबूझकर अंधेरे में धकेल रहे हैं। जिले में केवल तीन कॉलेज होने के कारण छात्रों की भीड़ बढ़ती जा रही है, और जीएलए कॉलेज पर सभी विषयों की पढ़ाई की निर्भरता बढ़ गई है। विश्वविद्यालय द्वारा सेमेस्टर दो का परिणाम दिए बिना ही सेमेस्टर तीन में दाखिला लेना, छात्रों के साथ अन्याय है। छात्रों को यह भी नहीं पता कि वे पास हैं या फेल, जिससे स्पष्ट होता है कि विश्वविद्यालय केवल वसूली का अड्डा बन गया है।
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आइसा के रोषपूर्ण प्रदर्शन का समापन
इस घेराव और सभा का समापन आइसा के राज्य उपाध्यक्ष रंजीत सिंह चेरो ने किया। उन्होंने कहा कि छात्रों के अधिकारों के लिए आइसा हमेशा संघर्षरत रहेगा और किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी। इस मौके पर अविनाश रंजन, दिव्या भगत, ममता कुमारी, मंजीत कुमार, और कई अन्य छात्रों ने भी अपने विचार साझा किए और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया।