lic 68 years success story: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), 68 साल की हो गई है। इस कंपनी का बीमा उद्योग में 60 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है, जो इसे इस क्षेत्र में सबसे प्रमुख बनाता है। आज हम एलआईसी की इस लंबी यात्रा और उसकी स्थापना के पीछे की कहानी को विस्तार से जानेंगे।
एलआईसी की स्थापना, आजादी के बाद की कहानी
68 साल की LIC: एलआईसी की स्थापना 1 सितंबर 1956 को हुई थी, जब देश आजादी के बाद अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था। उस समय बीमा उद्योग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा था, और LIC की स्थापना ने इस क्षेत्र में एक नई जान फूंकी। इसकी शुरुआत महज 5 करोड़ रुपये की पूंजी से हुई थी, लेकिन आज एलआईसी का बाजार पूंजीकरण 6.73 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
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एलआईसी ने केवल एक बीमा कंपनी के रूप में ही नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है, जो न केवल शहरी इलाकों में बल्कि दूरदराज के गांवों तक अपनी पहुंच बनाकर भारतीय बीमा क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित कर रही है।
भारत में बीमा का आरंभ, अंग्रेजों से भारतीयों तक का सफर
भारत में बीमा की शुरुआत 1818 में इंग्लैंड से हुई थी। उस समय “ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी” की स्थापना कोलकाता में की गई थी, जो केवल यूरोपीय लोगों का बीमा करती थी। भारतीयों के लिए बीमा की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, लेकिन कुछ साहसी भारतीय नेताओं के प्रयासों से विदेशी बीमा कंपनियों ने भारतीयों का बीमा शुरू किया। इसके बावजूद, भारतीयों को यूरोपीय लोगों की तुलना में अधिक प्रीमियम देना पड़ता था।
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1870 में, इस भेदभाव को समाप्त करने के लिए बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसाइटी की स्थापना की गई, जो भारतीयों को सामान्य दरों पर बीमा सेवा प्रदान करने वाली पहली कंपनी थी। इसके बाद, 1886 तक कई भारतीय बीमा कंपनियों का उदय हुआ और बीमा का विस्तार पूरे देश में होने लगा।
बीसवीं सदी में बीमा उद्योग का विकास
बीसवीं सदी की शुरुआत के साथ ही बीमा उद्योग में तेजी आई। उस समय बीमा कंपनियों की संख्या 44 से बढ़कर 176 तक पहुंच गई, और इनका व्यापार भी 22.44 करोड़ रुपये से बढ़कर 298 करोड़ रुपये तक हो गया। इस विकास ने बीमा क्षेत्र को एक नई दिशा दी और एलआईसी की स्थापना के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
वर्ष | बीमा कंपनियों की संख्या | व्यापार (करोड़ रुपये में) |
---|---|---|
1900 | 44 | 22.44 |
1938 | 176 | 298 |
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एलआईसी का राष्ट्रीयकरण और उसका उद्देश्य
भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, 1947 में सरकार ने बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया। 245 निजी बीमा कंपनियों का विलय कर ‘लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एक्ट’ के तहत एलआईसी की स्थापना की गई। इस कदम का मुख्य उद्देश्य देश के हर नागरिक, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, किफायती दरों पर बीमा की सुविधा उपलब्ध कराना था। एलआईसी ने न केवल शहरी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी अपनी पहुंच बनाई और आज यह भारत के हर कोने में उपलब्ध है।
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LIC का वर्तमान में मार्केट कैप और शेयर मार्केट में स्थिति
आज एलआईसी का मार्केट कैप 6.73 लाख करोड़ रुपये का है और यह देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। इसकी कुल एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) 50 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। मई 2022 में LIC का आईपीओ आया था, जो भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ था, जिसका आकार 21 हजार करोड़ रुपये का था। इस आईपीओ ने निवेशकों को 28.43% का रिटर्न दिया है, जो अन्य प्रमुख कंपनियों के मुकाबले कहीं अधिक है।
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LIC का निवेशकों को शानदार रिटर्न
एलआईसी ने पिछले एक साल में कई बड़ी कंपनियों जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और एसबीआई से भी ज्यादा रिटर्न दिया है। जहां रिलायंस ने 25.38% और एसबीआई ने 43.31% का रिटर्न दिया, वहीं एलआईसी ने अपने निवेशकों को 64.31% का रिटर्न दिया है। यह प्रदर्शन दिखाता है कि एलआईसी ने न केवल बीमा उद्योग में, बल्कि निवेश के क्षेत्र में भी अपनी मजबूत स्थिति बनाई है।
निष्कर्ष
68 साल की इस लंबी यात्रा में एलआईसी ने न केवल भारत के बीमा उद्योग में क्रांति ला दी है, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी के साथ लाखों भारतीयों की आर्थिक सुरक्षा भी सुनिश्चित की है। एलआईसी का भविष्य और भी उज्ज्वल दिखता है क्योंकि यह लगातार अपनी सेवाओं का विस्तार कर रही है और नए निवेशकों को आकर्षित कर रही है।