रांची: झारखंड की राजनीति में एक बड़ा फेरबदल तब हुआ जब आजसू के पूर्व विधायक उमाकांत रजक और जमुआ विधानसभा के भाजपा विधायक केदार हाजरा ने अपने समर्थकों के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में शामिल होने का फैसला लिया। यह घटना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया स्वागत
झामुमो में शामिल होने के बाद, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोनों नेताओं को पार्टी का पट्ट पहनाकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर गांडेय विधानसभा की विधायक कल्पना सोरेन भी उपस्थित थीं। मुख्यमंत्री ने कहा, “झारखंड के दो जुझारू और कर्मठ नेताओं केदार हाजरा और उमाकांत रजक का झामुमो परिवार में हार्दिक स्वागत है।” उन्होंने इस अवसर पर दोनों नेताओं की राजनीतिक सूझबूझ और जनसेवा की प्रतिबद्धता की सराहना की।
उमाकांत रजक और केदार हाजरा की भूमिका
पूर्व विधायक उमाकांत रजक ने शनिवार को आजसू पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, और अब यह संभावना जताई जा रही है कि वे चंदनकियारी से झामुमो के प्रत्याशी के रूप में आगामी चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं, भाजपा विधायक केदार हाजरा ने जमुआ से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है। दोनों नेताओं के इस कदम से झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव की संभावनाएं पैदा हो गई हैं।
कैबिनेट ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को दी मंजूरी
झामुमो में शामिल होने के कारण
उमाकांत रजक और केदार हाजरा के झामुमो में शामिल होने के पीछे कई कारण हैं। दोनों नेताओं ने राज्य की जनता के हितों और उनके विकास को प्राथमिकता देते हुए यह फैसला लिया। उमाकांत रजक ने कहा, “झारखंड के विकास और लोगों के कल्याण के लिए झामुमो के साथ मिलकर काम करना मेरे लिए गर्व की बात है।” वहीं, केदार हाजरा ने भी झारखंड की जनता के लिए बेहतर योजनाओं को लागू करने के लिए झामुमो का साथ देने का निर्णय लिया है।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
इन दो बड़े नेताओं के झामुमो में शामिल होने से आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। उमाकांत रजक और केदार हाजरा दोनों ही अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखते हैं, और उनके झामुमो में शामिल होने से पार्टी को एक नई ताकत मिल सकती है। इससे झामुमो को चुनावों में एक महत्वपूर्ण बढ़त मिलने की संभावना है, वहीं भाजपा और आजसू के लिए यह एक चुनौती बन सकता है।