GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट की अधिसूचना: भारत में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित ऑन-बोर्ड यूनिट से टोल वसूली की अधिसूचना जारी की गई है। इस नए तकनीक को लेकर चालकों में कई सवाल उठ रहे हैं। एक बड़ा सवाल यह है कि यह यूनिट केवल उस राज्य में काम करेगा, जहां से इसे लगवाया गया है, या फिर यह देशभर में मान्य होगा। इस लेख में हम इस सवाल का समाधान करेंगे और जानेंगे कि टोल भुगतान के नए तरीके से वाहन चालकों को कैसे लाभ मिलेगा।
किसी एक राज्य तक सीमित नहीं GNSS यूनिट
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट केवल उस राज्य में सीमित नहीं रहेगा जहां से इसे लगाया गया है। मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन और हाईवे टोल के संयुक्त सचिव सुमन प्रसाद सिंह ने बताया कि यह सिस्टम पूरे देश में काम करेगा। इसका मतलब यह है कि अगर कोई वाहन चालक दिल्ली में यूनिट लगवाता है, तो वह न केवल दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे बल्कि बेंगलुरू-मैसूर एक्सप्रेसवे पर भी टोल का भुगतान कर सकेगा।
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अनेक ऑपरेटर होंगे शामिल
GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट का संचालन किसी एक ऑपरेटर के जरिए नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, तीन से चार ऑपरेटर होंगे ताकि सिस्टम अधिक सटीक और प्रभावी हो सके। यह सुनिश्चित करेगा कि किसी एक ऑपरेटर की मोनोपोली न हो और सिस्टम की एक्यूरेसी भी बेहतर हो। विभिन्न ऑपरेटरों की भागीदारी से देशभर के सभी हाईवे पर यह यूनिट सफलतापूर्वक काम करेगा।
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GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट के प्रमुख फायदे | विवरण |
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सम्पूर्ण देश में कार्यशील | एक राज्य में लगवाया यूनिट पूरे भारत में काम करेगा |
एक से अधिक ऑपरेटर | अधिक सटीकता के लिए कई ऑपरेटर होंगे |
टोल भुगतान में सुविधा | केवल यात्रा की गई दूरी के आधार पर टोल भुगतान |
कब होगा GNSS का प्रारंभ?
मंत्रालय ने बताया कि GNSS सिस्टम की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। अगले महीने के भीतर ऑपरेटरों को निर्धारित कर दिया जाएगा और फिर पांच हाईवे पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे शुरू किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट से यूनिट की कार्यक्षमता और व्यवहार्यता की जांच की जाएगी, ताकि इसे व्यापक रूप से लागू करने में किसी प्रकार की समस्या न हो।
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कैसे मिलेगा वाहन चालकों को फायदा?
GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट के शुरू होने के बाद वाहन चालकों को केवल जितने किलोमीटर की यात्रा की है, उतने का ही टोल भुगतान करना होगा। वर्तमान में टोल प्लाज़ा पर निर्धारित दूरी के आधार पर भुगतान करना होता है, जिससे कई बार वाहन चालकों को अतिरिक्त टोल देना पड़ता है। लेकिन इस नई तकनीक से चालक बिना टोल प्लाज़ा तक पहुंचे किसी भी स्थान से एक्सप्रेसवे से बाहर निकल सकते हैं और उतनी ही दूरी का टोल भुगतान करेंगे जितनी दूरी उन्होंने तय की है।
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भविष्य की योजनाएँ और निष्कर्ष
इस नई तकनीक का उद्देश्य है कि टोल संग्रहण की प्रक्रिया को और सरल बनाया जाए और वाहन चालकों को यात्रा में अधिक सुविधा मिले। GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट की शुरुआत से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि टोल भुगतान भी अधिक सटीक और पारदर्शी हो जाएगा। यह नई प्रणाली टोल गेट्स की निर्भरता को भी कम करेगी, जिससे देशभर के हाईवे पर यात्रा करना और भी सुविधाजनक हो जाएगा।