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Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज की तिथि, मुहूर्त और महत्व, तीज की रौनक, बाजारों में उमड़ी भीड़

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Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज 2024 में एक अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाता है। हरतालिका तीज का पर्व विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करती हैं। इस वर्ष हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को मनाया जाएगा।

Hartalika Teej तिथि 2024

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष हरतालिका तीज की तिथि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12:22 बजे से शुरू होकर 6 सितंबर को दोपहर 03:01 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा।

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शुभ योग और मुहूर्त

हरतालिका तीज पर इस वर्ष विशेष शुभ योग बन रहे हैं। पंचांग गणना के अनुसार, 6 सितंबर को रवि योग और शुक्ल योग के साथ चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण बना देता है।

पूजा का शुभ मुहूर्त:

  • सुबह 06:02 बजे से 08:33 बजे तक।
  • प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय): 6 सितंबर को शाम 06:36 बजे से शुरू होगा।

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हरतालिका तीज चौघड़िया मुहूर्त

  • चर मुहूर्त: सुबह 06:02 से 07:36 तक
  • लाभ मुहूर्त: सुबह 07:36 से 09:10 तक
  • अमृत मुहूर्त: सुबह 09:10 से 10:45 तक
  • शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:19 से 01:53 तक
  • चर मुहूर्त: शाम 05:02 से 06:36 तक

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Hartalika Teej का महत्व

हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इस व्रत को पहली बार किया था। इस व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और रात्रि जागरण भी करती हैं। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं के वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

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हरतालिका तीज पूजन सामग्री

  • भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा
  • पीले रंग का कपड़ा, जनेऊ, सुपारी, बेलपत्र, कलश, अक्षत, दूर्वा, घी, दही और गंगाजल
  • माता पार्वती के श्रृंगार के लिए सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, कंघा, मेहंदी और कुमकुम

Hartalika Teej पूजन विधि

  1. पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमाएं मिट्टी या रेत से बनाएं।
  2. पूजा स्थल को फूलों से सजाएं और एक चौकी पर केले के पत्ते रखकर प्रतिमाएं स्थापित करें।
  3. पूजा के दौरान देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की आराधना करें।
  4. सुहाग की सभी वस्तुएं माता पार्वती को अर्पित करें और भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएं।
  5. पूजा के अंत में सास के चरण स्पर्श करने के बाद सुहाग की सामग्री का दान करें।

हरतालिका तीज का यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी होता है और इसे विधिपूर्वक करने से भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है।

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तीज की रौनक, बाजारों में उमड़ी भीड़

तीज पर्व के अवसर पर बाजारों में गुरुवार को जबरदस्त रौनक देखने को मिली। पूजा सामग्री से लेकर डालिया, फल, गुझिया की सजी-धजी दुकानों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ी हुई थी। सुहागिन महिलाओं ने तीज पर्व की तैयारी के लिए साड़ी, श्रृंगार सामग्री और पूजा की सामग्री की जमकर खरीदारी की। बाजार में नए डिजाइन की फैंसी साड़ियां, चुनरी, चूड़ियां, लहठी और मेहंदी की भी खूब बिक्री हुई। शाम होते-होते सड़कों पर भी अच्छी खासी चहल-पहल देखी गई, जिससे त्योहारी माहौल और भी जीवंत हो गया।

व्रत का समापन

पूजा-पाठ और पूरे दिन के निर्जला उपवास के बाद सुहागिन महिलाएं पारण करती हैं। पारण का समय पूजा के समापन के बाद होता है, जब महिलाएं पानी या शरबत पीकर व्रत का समापन करती हैं। इस परंपरा के अनुसार, तीज का व्रत न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है बल्कि पति-पत्नी के संबंधों को भी सुदृढ़ बनाता है।

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बाजारों में तीज की तैयारियों के साथ उमंग और उत्साह का माहौल देखते ही बन रहा है। सुहागिनों की खरीदारी और पूजा की तैयारी इस बात का प्रमाण है कि इस पर्व का उनके जीवन में कितना विशेष महत्व है।

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