Sabhi ke Liye Bima,IRDAI: भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा कंपनियों को बीमा उत्पादों को और अधिक किफायती बनाने का निर्देश दिया है। यह कदम IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India(IRDAI) )के ‘सभी के लिए बीमा’ लक्ष्य के तहत उठाया गया है, जिसे 2047 तक हासिल करने की योजना है। इस दिशा में सबसे बड़ी चुनौती बढ़ते प्रीमियम हैं, जो विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए आवश्यक कवरेज को पहुंच से बाहर कर रहे हैं।
‘सभी के लिए बीमा’ बैठक: affordability संकट पर मंथन
मुंबई में 23 और 24 अगस्त को आयोजित ‘सभी के लिए बीमा’ दृष्टिकोण बैठक में उद्योग के नेताओं और नियामकों ने बीमा उत्पादों की affordability संकट पर विचार किया। इस बैठक का प्रमुख उद्देश्य उन रणनीतियों पर चर्चा करना था, जिनसे बीमा उत्पादों को अधिक किफायती बनाया जा सके। इस चर्चा में बीमा कंपनियों के लिए आवश्यक कदम उठाने पर बल दिया गया, ताकि वे अपने उत्पादों को आम जनता के लिए सुलभ बना सकें।
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Insurtech: तकनीकी समाधान से प्रीमियम कम करने का प्रयास
बीमा उत्पादों की affordability बढ़ाने में Insurtech यानी तकनीकी-चालित बीमा समाधानों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। बीमा कंपनियां इस तकनीक का उपयोग करके परिचालन लागत को कम कर सकती हैं, जिससे प्रीमियम भी कम हो सकते हैं। Insurtech के माध्यम से बीमा उत्पादों को डिजिटलीकृत किया जा सकता है, जिससे ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं।
फोकस एरिया | उद्देश्य | लक्ष्य |
---|---|---|
बीमा उत्पादों की affordability | प्रीमियम कम करना | सभी के लिए बीमा 2047 तक |
Insurtech का उपयोग | परिचालन लागत कम करना | प्रीमियम को कम करना |
स्वास्थ्य लागत में वृद्धि | चिकित्सा लागत मुद्रास्फीति का असर | अधिक प्रीमियम दरों की आवश्यकता |
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बढ़ते स्वास्थ्य खर्च और मुद्रास्फीति का प्रभाव
Policy Ensure के सह-संस्थापक और निदेशक राहुल मिश्रा ने CNBC-TV18.com के साथ बातचीत में बीमा प्रीमियम में वृद्धि के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य लागत में वृद्धि सीधे चिकित्सा लागत मुद्रास्फीति का परिणाम है, जो बीमा दावों और भुगतान को भी प्रभावित करती है। इस वजह से बीमा कंपनियों को अपने प्रीमियम को समायोजित करना पड़ता है।
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बीमारियों के बढ़ते दावों का असर
राहुल मिश्रा ने बताया कि वृद्ध जनसंख्या और पुरानी बीमारियों में वृद्धि के कारण दावों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे बीमा कंपनियों पर अधिक भुगतान करने का दबाव बन रहा है और यह भी प्रीमियम दरों में वृद्धि का एक कारण है।
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मौसमी बीमारियों का बढ़ता खर्च
मौसमी बीमारियों के उपचार से जुड़े खर्च भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे प्रीमियम में वृद्धि हो रही है। Policybazaar के हालिया आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में मौसमी बीमारियों के दावों का औसत आकार 150% बढ़ गया है। डेंगू, मलेरिया और गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी बीमारियों के उपचार की औसत लागत ₹1.5 लाख तक पहुंच गई है, जो अब सभी मौसमी बीमारियों के दावों का 33-40% हिस्सा बनाता है।
निष्कर्ष
बीमा उत्पादों की affordability को बढ़ाने के लिए IRDAI के निर्देश बेहद महत्वपूर्ण हैं, खासकर तब जब प्रीमियम दरें तेजी से बढ़ रही हैं। Insurtech का उपयोग और स्वास्थ्य खर्चों में वृद्धि के मद्देनजर बीमा कंपनियों को न केवल परिचालन लागत कम करने की आवश्यकता है, बल्कि ग्राहकों के लिए उत्पादों को अधिक सुलभ बनाने के लिए भी प्रयास करना होगा।