Bharat Bandh Today: आज देशभर में दलित और आदिवासी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर और उपवर्गीकरण के फैसले के खिलाफ भारत बंद का आयोजन किया है। इस बंद का उद्देश्य हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए बेहतर प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग करना है। यह बंद न केवल समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए है, बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए भी आवाज उठाई जा रही है। कई राज्यों में इस बंद का व्यापक प्रभाव देखा जा रहा है, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और झारखंड में।
Bharat Bandh: SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर और उपवर्गीकरण का मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक विवादास्पद फैसला सुनाया था जिसमें SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर और उपवर्गीकरण की बात की गई थी। कोर्ट का मानना था कि सभी SC-ST जातियां समान नहीं हैं, और कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हुई हैं। इसके लिए कोर्ट ने सीवर सफाई करने वालों और बुनकरों का उदाहरण दिया था। इस फैसले से दलित और आदिवासी संगठनों में भारी रोष फैल गया है। इन संगठनों का मानना है कि इस फैसले से कमजोर वर्गों का हक छीना जा रहा है, और आरक्षण का मूल उद्देश्य समाप्त हो जाएगा।
विभिन्न राज्यों में भारत बंद का असर
1. बिहार: बिहार में भारत बंद का खासा असर देखने को मिला। हाजीपुर में शहर से लेकर हाईवे तक जाम लगा हुआ है, और टायर जलाकर विरोध जताया जा रहा है। जहानाबाद में भी बंद समर्थकों ने पटना-गया मुख्य सड़क मार्ग NH-83 को जाम कर दिया, जिससे दो घंटे तक यातायात बाधित रहा। बंद समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई, और पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में लिया।
2. उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में भी भारत बंद का व्यापक असर देखा गया। आगरा में MG रोड जाम कर दिया गया, और रैली के जरिए विरोध-प्रदर्शन किया गया। मुरादाबाद में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए, और पुलिस ने सुनिश्चित किया कि शहर में ट्रैफिक जाम न हो।
3. राजस्थान: राजस्थान में भी भारत बंद का असर व्यापक था। अजमेर में आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने बाइक रैली निकाली, जिसमें प्रदर्शनकारियों के हाथों में नीले झंडे लहरा रहे थे। जोधपुर में बंद समर्थकों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील की।
4. झारखंड: झारखंड के रांची में बंद समर्थकों ने सड़क पर टायर जलाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध जताया। राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा भी इस बंद में शामिल हुआ, और उन्होंने हाथों में बैनर लेकर सड़क पर प्रदर्शन किया।
राजनीतिक संगठनों का समर्थन
इस भारत बंद को कई राजनीतिक संगठनों का भी समर्थन मिला है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती ने भी इस बंद का समर्थन किया है। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत का परिणाम है, और यह आरक्षण विरोधी षड्यंत्र का हिस्सा है। महागठबंधन ने भी इस बंद का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से इस फैसले को अध्यादेश लाकर खारिज करने की मांग की है।
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क्या खुला और क्या बंद?
इस भारत बंद के दौरान कई स्थानों पर स्कूल-कॉलेज, बैंक, सरकारी दफ्तर और अस्पताल खुले रहे, लेकिन कुछ स्थानों पर स्कूलों की छुट्टी घोषित की गई। राजस्थान में कक्षा 1 से 12 तक के स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की गई, जबकि दंतेवाड़ा में दुकानों और ट्रांसपोर्ट सेवाओं को बंद रखा गया। दिल्ली में भारत बंद का कोई खास असर नहीं देखा गया, और सभी 700 बाजार और 56 इंडस्ट्रियल एरिया खुले रहे।
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संगठन की मांगें
इस बंद का आयोजन करने वाले दलित और आदिवासी संगठनों की मांग है कि सरकारी नौकरियों में SC-ST और OBC कर्मचारियों के जाति आधारित डेटा को तुरंत जारी किया जाए ताकि उनके सटीक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट से कोटा के भीतर कोटा वाले फैसले को वापस लेने या उस पर पुनर्विचार करने की मांग की जा रही है। बंद समर्थकों का कहना है कि SC-ST समुदाय के लोग आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं, और उन्हें प्राइवेट सेक्टर्स में आरक्षण नहीं मिलता है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर और उपवर्गीकरण के फैसले के खिलाफ आज के भारत बंद ने देशभर में गहरा प्रभाव छोड़ा है। दलित और आदिवासी संगठनों का यह बंद न केवल एक विरोध प्रदर्शन है, बल्कि यह एक आवाज है जो हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए न्याय और समानता की मांग कर रही है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि इस बंद का आगे क्या परिणाम निकलता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।