हजारीबाग: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर उरीमारी में विस्थापित समिति द्वारा एक भव्य मोटरसाइकिल जुलूस निकाली गई। इस जुलूस ने सामूहिक सरना स्थल जुबला से तिलका मांझी चौक होते हुए सिद्धू कान्हू चौक तक यात्रा की। यह आयोजन आदिवासी समुदाय की संस्कृति और उनकी महत्वता को मान्यता देने का एक प्रयास था।
कार्यक्रम की प्रमुख शख्सियतें
इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथियों में शामिल थे:
- अजय सिंह: सीसीएल बरका-सयाल महाप्रबंधक
- डी शिवादास: बिरसा परियोजना पदाधिकारी
- रामेश्वर मुंडा: सौन्दा डी/ जीवन धारा/ हेन्देगीर के परियोजना पदाधिकारी
कार्यक्रम का नेतृत्व विस्थापित नेता और अबुआ संथाल समाज भारत दिशोम के केंद्रीय सचिव दसई मांझी ने किया। इन प्रमुख व्यक्तियों ने अपने विचार साझा किए और आदिवासी संस्कृति के महत्व को उजागर किया।
मुख्य अतिथि अजय सिंह का संबोधन
मुख्य अतिथि अजय सिंह ने अपने संबोधन में आदिवासियों की महत्वता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “विश्व को बचाना है तो हमें आदिवासियों को बचाना होगा, क्योंकि आदिवासी आदिकाल से जल, जंगल, और जमीन की रक्षा करते आ रहे हैं। वे प्रकृति के प्रति अपार प्रेम रखते हैं और उनकी रक्षा से ही हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।”
दसई मांझी का संदेश
विस्थापित नेता दसई मांझी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आदिवासियों के संस्कृति, सभ्यता, रोजगार, और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्व आदिवासी दिवस के मनाए जाने के निर्णय को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने यह भी कहा कि “हमें आदिवासियों की शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। वर्तमान में, आदिवासी युवा नशाखोरी की समस्या का सामना कर रहे हैं और इसका समाधान निकालना हमारी जिम्मेदारी है।”
उरीमारी में विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन
प्रमुख उपस्थित लोग और उनका योगदान
इस अवसर पर प्रमुख रूप से कई सम्मानित व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें शामिल हैं:
- कार्तिक मांझी
- दिनेश करमाली
- खेपन मांझी
- सुखू मांझी
- रैना टुडू
- नकुल प्रजापति
- कृष्णा सोरेन
- तालो हंसदा
- शिकारी टुडू
- भवानी शंकर प्रसाद
- सत्यनारायण बेदिया
- परमेश्वर सोरेन
- जितेंद्र यादव
- सुबीत राम मांझी
- राजू पावरिया
- दिनेश मुंडा
- विनोद सोरेन
- लालजी पावरिया
- सुरेश प्रजापति
- हेमलाल बेसरा
- सुरेंद्र करमाली
- भन्दू करमाली
- अनिल मुर्मू
- अजय बेसरा
- प्रदीप किस्कू
- बिरजू सोरेन
- बिहारी मांझी
- राजू टुडू
- बिगन मांझी
- रमेश हेंब्रम
- सोमरा पावरिया
- मंजीत मुर्मू
इन सभी उपस्थित लोगों ने कार्यक्रम की सफलता में योगदान दिया और आदिवासी समुदाय के महत्व को उजागर करने में सहायता की।
निष्कर्ष
विश्व आदिवासी दिवस के इस आयोजन ने आदिवासी समुदाय की संस्कृति और उनके योगदान को सम्मानित किया। मोटरसाइकिल जुलूस और अन्य गतिविधियों ने उनके संघर्ष और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने में मदद की। इस प्रकार के आयोजनों से आदिवासी समुदाय की समस्याओं और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।