Mudma Mela 2024: झारखंड के रांची जिले के मांडर प्रखंड में 18 और 19 अक्टूबर को प्रसिद्ध मुड़मा मेला का आयोजन किया जाएगा। इस मेले में झारखंड की समृद्ध आदिवासी परंपरा और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए राजी पाड़हा जतरा समिति (मुड़मा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।
Mudma Mela 2024– आदिवासी परंपरा का अद्वितीय मेला
प्रत्येक वर्ष की तरह, इस बार भी मुड़मा मेले का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाएगा। यह मेला झारखंड की आदिवासी संस्कृति का प्रतीक है, जिसमें क्षेत्र के लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। मेले में पारंपरिक नृत्य, गीत-संगीत, आदिवासी रीति-रिवाज और हर्षोल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसके साथ ही, यहां परंपरागत पूजा-अर्चना का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें आदिवासी धर्मगुरु और स्थानीय लोग हिस्सा लेते हैं।
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सीएम हेमंत सोरेन को मुड़मा मेले में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रण
राजी पाड़हा जतरा समिति (मुड़मा) के मुख्य संयोजक बंधन तिग्गा और अध्यक्ष जगराम उरांव ने सोमवार को झारखंड मंत्रालय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और उन्हें 18 एवं 19 अक्टूबर 2024 को होने वाले मुड़मा मेले में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को मेले में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रण पत्र सौंपा और इस पारंपरिक आयोजन के महत्व पर चर्चा की।
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Mudma Mela आयोजन की विशेषताएं
मुड़मा मेला झारखंड के सबसे महत्वपूर्ण आदिवासी मेलों में से एक है, जो हर साल सैकड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस मेले की खास बात यह है कि यहां आदिवासी समुदाय अपनी संस्कृति और परंपरा को संजोने और प्रदर्शित करने का अवसर पाता है। आदिवासी नृत्य, लोकगीत, पारंपरिक कला और हस्तशिल्प का अनोखा संगम मेले में देखने को मिलता है।
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दो दिवसीय मुड़मा मेला: 18 और 19 अक्टूबर
Mudma Mela 2024: इस वर्ष के मेले का आयोजन 18 और 19 अक्टूबर को किया जा रहा है, जिसमें रांची जिले के मांडर प्रखंड का पूरा इलाका सज-धज कर इस आयोजन में हिस्सा लेगा। आदिवासी समाज के लोग अपने पारंपरिक वस्त्रों और आभूषणों के साथ मेले में पहुंचेंगे, जहां वे अपने रीति-रिवाजों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना करेंगे।
मुख्यमंत्री की उपस्थिति से बढ़ेगा आयोजन का गौरव
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति इस आयोजन को और भी भव्य और महत्वपूर्ण बना देगी। उनकी भागीदारी से इस ऐतिहासिक आयोजन को राज्य के अन्य हिस्सों में भी पहचान मिलेगी और आदिवासी समाज के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।