Odisha Parv 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित ओडिशा पर्व 2024 में ओडिशा की संस्कृति, कला और सभ्यता को भारत की धरोहर बताते हुए उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि ओडिशा के संतों और विद्वानों ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने और स्वतंत्रता संग्राम में देश को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में महाप्रभु जगन्नाथ की एक गाथा का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ से दही ग्रहण कर युद्ध का नेतृत्व किया था। इस गाथा को प्रेरणादायक बताते हुए उन्होंने कहा कि यदि हम नेक नीयत से कार्य करें, तो ईश्वर खुद हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
ओडिशा के संतों और कवियों को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री ने कवि गंगाधर मेहर, भक्त दासिया भौरी, भक्त सालबेगा और जगन्नाथ दास को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ओडिशा के समृद्ध साहित्य और संस्कृति को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को सशक्त करने वाला बताया।
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पाइका क्रांति के शहीदों का सम्मान
प्रधानमंत्री ने पाइका क्रांति के वीरों का स्मरण करते हुए कहा कि उनके बलिदान का ऋण देश कभी नहीं चुका सकता। उन्होंने यह भी बताया कि पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी कर उनके योगदान को सम्मानित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कवि भीम भोई की कविता की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा, “कितना भी दर्द सहना पड़े, दुनिया को बचाना होगा।” उन्होंने इसे ओडिशा की सहनशीलता और संस्कृति का प्रतीक बताया।
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राष्ट्रीय एकता और गौरव
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुरी धाम और ओडिशा की संस्कृति ने भारत को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया है। उन्होंने ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय गर्व का विषय बताया और ओडिशा पर्व 2024 को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास करार दिया।