रामगढ़ जिले के भुरकुंडा कोयलांचल और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में करम पर्व को उमंग और उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया। इस पारंपरिक त्योहार में बहनों ने अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हुए 24 घंटे का निर्जला उपवास रखा और करम देव की विधिपूर्वक पूजा की।
पर्व की विशेष पूजा विधि और परंपरा
करम पर्व की शुरुआत घरों के आंगन की साफ-सफाई से होती है। इस अवसर पर पूरे आंगन को गाय के गोबर से लीपकर करम डाल को स्थापित किया गया। इसके बाद, कुंवारी कन्याओं द्वारा अंकुरित जावा और अन्य पूजन सामग्री जैसे फल और फूल को करम डाल के पास एकत्रित किया गया। इसके बाद पाहन द्वारा सामूहिक रूप से विधिवत पूजा संपन्न कराई गई। पूजा में पूरे गांव के लोग शामिल हुए और करम देव से अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना की।
मोहल्लों में अखरा सजाकर सामूहिक पूजा का आयोजन
करम पर्व के दौरान मोहल्ले में विशेष रूप से अखरा बनाया गया, जिसे एलईडी लाइट, फूल और पत्तियों से सजाया गया था। यहां स्थानीय वर्ती एकत्रित हुए और सामूहिक रूप से करम डाल की स्थापना की। अखरा में एकत्रित लोगों ने सामूहिक रूप से करम देव की पूजा की, जिसे पाहन द्वारा संपन्न कराया गया। इस मौके पर पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल देखने को मिला और ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक त्योहार का आनंद लिया।
समारोह में प्रमुख लोग उपस्थित
इस धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे। मुख्य रूप से बागेश करमाली, राजेंद्र करमाली, विनोद करमाली, रामकुमार, आजाद भुइंया, बसंत करमाली, लाली करमाली, राजेश करमाली, बबलू कोल, प्रिंस करमाली, सनी करमाली, पारस करमाली, रौनक करमाली और विक्रम करमाली जैसे कई लोग इस आयोजन में शामिल हुए और करम पर्व की पूजा में भाग लिया।
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 5 बड़े तोहफे, DA वृद्धि से 8वें वेतन आयोग तक का लाभ
करम पर्व रामगढ़ और आसपास के ग्रामीण इलाकों में एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूत करता है।