सीताराम येचुरी: मार्क्सवादी विचारधारा के प्रखर नेता का निधन

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Sitaram yechuri: मार्क्सवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M)) के महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। 72 वर्षीय येचुरी को निमोनिया की गंभीर समस्या के कारण एम्स, दिल्ली के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने आज दोपहर लगभग 03:00 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से भारतीय राजनीति और वामपंथी विचारधारा के समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है। CPI(M) ने येचुरी के निधन की पुष्टि करते हुए उनके परिवार और समर्थकों के प्रति गहरा शोक व्यक्त किया है।

वामपंथी आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे सीताराम येचुरी

सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में हुआ था। वामपंथी विचारधारा के प्रति उनकी आस्था और समर्पण ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। वे 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद रहे और तीन बार पार्टी के महासचिव भी रहे। उनकी नेतृत्व क्षमता और विचारधारा के प्रति अडिग रुख ने उन्हें मार्क्सवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित किया। येचुरी की विद्वता और राजनीतिक सूझबूझ ने उन्हें न केवल पार्टी के भीतर बल्कि भारतीय राजनीति के कई मंचों पर भी सम्मान दिलाया।

पार्थिव शरीर का दान: समाज सेवा के प्रति समर्पण का उदाहरण

सीताराम येचुरी के परिवार ने उनके पार्थिव शरीर को शैक्षणिक शोध के लिए एम्स को दान करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय उनके वैज्ञानिक सोच और समाज सेवा के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। येचुरी का जीवन केवल राजनीति तक सीमित नहीं था; वे समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध थे। उनके इस कदम से अन्य नेताओं और व्यक्तियों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे अपने जीवन को सामाजिक कल्याण और ज्ञानवर्धन के लिए समर्पित करें।

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विवरणजानकारी
नामसीताराम येचुरी
जन्म तिथि12 अगस्त 1952
पार्टीमार्क्सवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M))
मृत्यु12 सितंबर 2024, दिल्ली
पदमहासचिव, राज्यसभा सांसद
योगदानवामपंथी विचारधारा के समर्थन में सक्रिय नेता

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राज्यसभा सदस्यता और पार्टी के महासचिव के रूप में भूमिका

सीताराम येचुरी ने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए वामपंथी आंदोलन को मजबूती प्रदान की। वे पहली बार 2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुने गए और 2017 तक इस पद पर बने रहे। इस दौरान उन्होंने किसानों, मजदूरों, और गरीब तबके के हितों के लिए जोरदार आवाज उठाई। पार्टी के महासचिव के रूप में, उन्होंने संगठनात्मक ढांचे को सुदृढ़ किया और वामपंथी राजनीति को एक नई दिशा दी। उनका नेतृत्व न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी वामपंथी विचारधारा को प्रासंगिक बनाए रखने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।

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राजनीतिक और वैचारिक दृष्टिकोण

सीताराम येचुरी का जीवन संघर्ष और विचारधारा की दिशा में एक मिसाल के रूप में देखा जाता है। उनकी नीतियों और विचारों का केंद्रबिंदु सदैव समाज के वंचित और गरीब वर्ग रहे। येचुरी का मानना था कि समाज में बदलाव केवल राजनीतिक सत्ता के माध्यम से नहीं, बल्कि विचारधारा के प्रचार-प्रसार से भी लाया जा सकता है। उनकी स्पष्टता और वाक्पटुता ने उन्हें एक उत्कृष्ट वक्ता और विचारक के रूप में स्थापित किया।

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भारतीय राजनीति में अपूरणीय क्षति

सीताराम येचुरी का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने न केवल एक नेता के रूप में, बल्कि एक विचारक और मार्गदर्शक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई थी। वामपंथी आंदोलन के इस योद्धा की अनुपस्थिति में, भारतीय राजनीति को एक नई दिशा और दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। उनके विचार, उनकी नीतियां, और उनकी नेतृत्व क्षमता सदैव प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

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निष्कर्ष

सीताराम येचुरी का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा धक्का है। उनके विचार, नेतृत्व और संघर्षशीलता का आदर करना हम सभी के लिए आवश्यक है। वे एक सच्चे समाजवादी और राष्ट्रसेवक थे, जिनका योगदान सदैव याद किया जाएगा।

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