उरीमारी (हजारीबाग): शनिवार को रैयत विस्थापित मोर्चा (रैविमो) उरीमारी शाखा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संयुक्त बैनर तले आशीर्वाद आउटसोर्सिंग कंपनी का काम पूरी तरह से बंद कर दिया गया। मोर्चा के सचिव बिनोद हेम्ब्रोम ने कहा कि उरीमारी परियोजना के पदाधिकारी को 19 सितंबर को 350 बेरोजगार विस्थापितों की सूची सौंपी गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। 28 सितंबर 2024 को हुई बैठक में विस्थापितों को रोजगार देने का समझौता हुआ था, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ।
बेरोजगार विस्थापितों की मांगें और प्रबंधन की उदासीनता
रैयत विस्थापित मोर्चा के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर कई बार सीसीएल प्रबंधन और आशीर्वाद आउटसोर्सिंग कंपनी से बात की, लेकिन बेरोजगार विस्थापितों को नौकरी देने की मांग पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। 28 सितंबर की बैठक में विस्थापितों को बारी-बारी से रोजगार देने पर सहमति बनी थी, लेकिन प्रबंधन द्वारा इसे लागू नहीं किया गया। इसी के चलते स्थानीय मजदूरों और नेताओं ने आक्रोशित होकर कंपनी का काम ठप करा दिया।
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त्रिपक्षीय वार्ता और आंदोलन
काम ठप होने के बाद उरीमारी परियोजना पदाधिकारी दिलीप कुमार और दिवाकर विश्वकर्मा की उपस्थिति में पहली पाली में त्रिपक्षीय वार्ता हुई, लेकिन यह वार्ता विफल रही। इसके परिणामस्वरूप आशीर्वाद आउटसोर्सिंग कंपनी का कामकाज लगभग दस घंटे तक बाधित रहा। अंततः परियोजना पदाधिकारी ने मोर्चा के प्रतिनिधियों को कल रविवार को 11:00 बजे महाप्रबंधक बरका सयाल कार्यालय में वार्ता के लिए बुलाया , जिसके बाद आंदोलन को अस्थायी रूप से वापस लिया गया।
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आंदोलन को सफल बनाने में प्रमुख लोग
इस बंदी को सफल बनाने में कई स्थानीय नेता और कार्यकर्ता प्रमुख रूप से सक्रिय रहे। इनमें रैविमो क्षेत्रीय अध्यक्ष सूरज बेसरा, क्षेत्रीय सचिव मोहन सोरेन, विस्थापित नेता संजय करमाली, और उरीमारी शाखा के सचिव बिनोद हेम्ब्रोम सहित अन्य प्रमुख लोग शामिल थे। आंदोलन में सैकड़ों स्थानीय निवासी और विस्थापित परिवारों ने भाग लिया, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं।