Chhath Puja 2024: आज 7 नवंबर को छठ महापर्व का तीसरा दिन है, जिसे पहला अर्घ्य कहा जाता है। इस दिन कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को व्रती निर्जला व्रत रखते हैं और सूर्यास्त के समय तालाब, नदी या जलकुंड में जाकर सूर्य देवता की उपासना करते हैं। डूबते सूर्य को तांबे के लोटे में दूध और गंगाजल मिलाकर अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 28 मिनट पर है।
केवल छठ में ही होती है डूबते सूर्य की पूजा
छठ महापर्व में ही डूबते सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनकी उपासना से जीवन में संपन्नता, संतान सुख, और परिवार का कल्याण होता है। डूबते सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देने से विशेष लाभ मिलता है, जिससे नेत्रज्योति बढ़ती है, आयु लंबी होती है, और आर्थिक उन्नति होती है। विद्यार्थियों के लिए भी इसे लाभकारी माना गया है, जिससे शिक्षा में प्रगति होती है।
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सप्तमी तिथि को सूर्योदय के समय उदीयमान सूर्य को अर्घ्य
छठ महापर्व के चौथे और अंतिम दिन, सप्तमी तिथि को सूर्योदय के समय उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 32 मिनट है। अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करते हैं, जिससे उनका 36 घंटे का निर्जला उपवास पूर्ण होता है। इस दिन व्रती धन, धान्य और आरोग्य की कामना करते हैं।
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अरुणोदय काल में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व होगा समाप्त
महापर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ हुई, जहां व्रतियों ने अरवा चावल, चने की दाल, और कद्दू की सब्जी का सेवन किया। इसके अगले दिन, खरना में व्रतियों ने रात में खीर का प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद उनका 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ। आज छठ का पहला अर्घ्य देकर पर्व की विधिवत शुरुआत हुई, जबकि अंतिम अर्घ्य अरुणोदय काल में भगवान भास्कर को दिया जायेगा। व्रती के पारण के साथ ही इस चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन होगा।