रांची: जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर जिला स्कूल के विद्यार्थियों ने स्कूल के प्रवेश द्वार के सामने की दीवारों पर जनजातीय कला-संस्कृति को पेंटिंग्स के जरिए जीवंत रूप दिया। इस कार्यक्रम में छठवीं से बारहवीं तक के छात्रों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के लिए विद्यार्थियों को चार हाउस—दामोदर, स्वर्णरेखा, कोयल और शंख में विभाजित किया गया था।
कोयल हाउस ने उकेरा लोक नृत्य और सरहुल पर्व
कोयल हाउस की शिक्षिका रीता कुमारी ने बताया कि उनके छात्रों ने झारखंड के लोक नृत्य और मंडाला पेंटिंग को दीवार पर बारीकी से उकेरा। सरहुल पर्व पर आदिवासी समुदाय की खोड़हा मंडली को मांदर और नगाड़े की थाप पर झूमते हुए चित्रित किया गया।
स्वर्णरेखा हाउस ने झुमर नृत्य को दी नई पहचान
स्वर्णरेखा हाउस की शिक्षिका गुलशा तिर्की और स्वाति ने बताया कि उनके ग्रुप के छात्रों ने झारखंड के प्रसिद्ध झुमर नृत्य को दीवार पर चित्रित किया। उनकी पेंटिंग्स में आदिवासी जीवन के उत्साह और रंगीन छवि को दर्शाया गया है।
शंख हाउस ने धरती आबा बिरसा मुंडा को किया चित्रित
शंख हाउस के विद्यार्थियों ने बिरसा मुंडा की जीवनशैली को दीवार पर उकेरा। उनकी पेंटिंग्स में खलिहान से धान ढोते हुए आदिवासी, हरियाली, जोहार और पर्यावरण संरक्षण की झलक देखने को मिली।
दामोदर हाउस ने दिखाया आदिवासी जीवन का विविध रूप
दामोदर हाउस की शिक्षिका जया प्रभा ने बताया कि उनके छात्रों ने जनजातीय गौरव दिवस के लिए आदिवासी संस्कृति, जनी शिकार और वाद्ययंत्र बजाने जैसी विशिष्ट झलकियों को चित्रित किया। मौके पर प्रधानाध्यापिका यास्मिन गलोरिया ने कहा कि पेंटिंग्स के माध्यम से बच्चों ने अपनी रचनात्मक और विश्लेषणात्मक क्षमताओं का अद्भुत प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि यह कला बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को समृद्ध करने और विद्यालय को सुंदर बनाने का एक बेहतरीन प्रयास है।
शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति ने बढ़ाया उत्साह
कार्यक्रम के दौरान शिक्षक चंद्रमनी किशोर, गोविंद बिहारी, रामकिशोर कांशी, विकास दास, हाउस लीडर कविता महतो, जया प्रभा, रीता कुमारी, संगीता एक्का, मंजुला एक्का सहित अन्य शिक्षक मौजूद थे। रंग-बिरंगी दीवारें विद्यालय की खूबसूरती में चार चांद लगा रही थीं।