एमबीबीएस के लिए बांग्लादेश क्यों चुनते हैं भारतीय छात्र? क्यों बना डॉक्टरी के लिए पसंदीदा गंतव्य?

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MBBS: भारत में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए प्रतिस्पर्धा और महंगी फीस के चलते हर साल हजारों भारतीय छात्र डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए बांग्लादेश का रुख करते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों बांग्लादेश भारतीय छात्रों के लिए मेडिकल एजुकेशन का पसंदीदा स्थान बन गया है।

मेडिकल सीटों की कमी और कड़ी प्रतिस्पर्धा

भारत में हर साल लाखों छात्र नीट (NEET) परीक्षा देते हैं, लेकिन सीमित सरकारी मेडिकल सीटों के कारण सभी छात्रों को सरकारी कॉलेज में दाखिला मिल पाना मुश्किल होता है। 2024 में, 23 लाख से अधिक छात्रों ने नीट यूजी परीक्षा में भाग लिया, जिनमें से अधिकांश केवल 50 हजार सरकारी मेडिकल कॉलेज सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। इसका मतलब है कि प्रत्येक सीट के लिए 42 छात्र दावेदारी ठोकते हैं। इस प्रतिस्पर्धा के कारण, कई छात्र विदेशों में मेडिकल पढ़ाई का विकल्प चुनते हैं।

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प्राइवेट कॉलेजों की महंगी फीस

भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस बहुत अधिक होती है। प्राइवेट कॉलेजों में प्रति वर्ष 12 लाख रुपये से 25 लाख रुपये तक की फीस लगती है, जो कई योग्य छात्रों के लिए आर्थिक रूप से संभव नहीं है। इसके विपरीत, बांग्लादेश में एमबीबीएस की कुल लागत लगभग 25 लाख रुपये है, जो कि भारत के प्राइवेट कॉलेजों की तुलना में काफी सस्ता है।

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किफायती मेडिकल शिक्षा

बांग्लादेश में मेडिकल शिक्षा भारत की तुलना में काफी किफायती है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, वहां के मेडिकल कॉलेजों में 25% सीटें अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए आरक्षित हैं। यह भारतीय छात्रों को पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, बांग्लादेश में अधिकांश मेडिकल कॉलेज डब्ल्यूएचओ और एमसीआई से मान्यता प्राप्त हैं, जो उन्हें भारतीय छात्रों के लिए एक सुरक्षित और मान्य विकल्प बनाते हैं।

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नीट में कम अंक वाले छात्रों के लिए अवसर

भारत में सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने के लिए उच्च नीट अंक की आवश्यकता होती है। जबकि बांग्लादेश में एमबीबीएस में प्रवेश के लिए अपेक्षाकृत कम नीट अंक से भी दाखिला मिल सकता है। हालांकि, विदेश में एमबीबीएस करने के लिए नीट पास करना अनिवार्य है, और नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) से पात्रता प्रमाण पत्र प्राप्त करना भी जरूरी होता है।

एफएमजीई परीक्षा और डॉक्टरी का लाइसेंस

विदेश से एमबीबीएस करके आने वाले छात्रों को भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एफएमजीई परीक्षा देनी होती है। बांग्लादेश से पढ़ाई करने वाले छात्रों को इस परीक्षा में सफल होने में आमतौर पर अधिक सफलता मिलती है क्योंकि वहां की मेडिकल शिक्षा का स्तर भारत के मेडिकल सिस्टम के साथ समन्वित होता है।

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अन्य किफायती विकल्प: रूस, किर्गिस्तान, फिलीपींस

बांग्लादेश के अलावा, रूस, किर्गिस्तान और फिलीपींस जैसे देशों में भी भारतीय छात्रों के लिए किफायती मेडिकल शिक्षा के विकल्प उपलब्ध हैं। 2015 से 2019 के बीच विदेश में एमबीबीएस करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो 3,438 से बढ़कर 12,321 हो गई है।

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निष्कर्ष

बांग्लादेश भारतीय छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा का एक आकर्षक विकल्प बन गया है, जो कि किफायती और गुणवत्ता-मानक दोनों की दृष्टि से बेहतर है। भारत में मेडिकल सीटों की कमी, प्राइवेट कॉलेजों की महंगी फीस और बांग्लादेश में मेडिकल शिक्षा के उच्च मानकों ने इसे भारतीय छात्रों के लिए पसंदीदा गंतव्य बना दिया है।

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